Thursday, June 23, 2011

फूलों ने छोड़ा खिलना और लोगों ने आना

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पूर्वी दिल्ली : लक्ष्मीनगर स्थित ज्ञान कुंज पार्क बदहाल है। फूलों के अभाव और गंदगी से यह पार्क कम जंगल ज्यादा नजर आने लगा है। पार्क में बच्चों के लिए लगाए गए झूले जर्जर हो चुके हैं। असामाजिक तत्वों ने अड्डा बना लिया है। लोग यहां आने से कतराने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि पार्क में काफी भीड़ होती थी, लेकिन अब मंजर यह है कि यहां आने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। पार्क में प्रवेश के लिए मुख्य द्वार सहित कुल दो रास्ते हैं, लेकिन पार्क के पिछले हिस्से की दीवार तोड़कर असामाजिक तत्वों ने अवैध रास्ता बना लिया है। आए दिन यहां शराबियों और जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है। पार्क स्थानीय लोगों के लिए भी असुरक्षित है। पार्क के पिछले हिस्से में स्थित कॉलोनी के लोग कूड़ा फेंक देते हैं, जो गंदगी की एक बड़ी वजह है।

स्थानीय निवासी सुधीर, मोहन कुमार और अन्य लोगों ने बताया कि असुरक्षा और बदहाली से लोग तंग आ गए हैं। सुबह टहलने के लिए लोग पार्क के बजाय आस-पास की सड़कों पर जाने को मजबूर हैं। उससे वाहनों की चपेट में आने का खतरा बना रहता है।

निगम पार्षद बीबी त्यागी से बात की गई, तो उन्होंने समस्याओं को दूर करने के संबंध में जल्द ही कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया। जोनल चेयरमैन ने कहा है कि पाकरें की स्थिति सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जब पैदल चलना हो जाता है मुश्किल

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पूर्वी दिल्ली: लक्ष्मी नगर स्थित मंगल बाजार दिन-प्रतिदिन चमक खोता जा रहा है। इसका कारण एक तो दुकानदारों का सड़क पर कब्जा है, दूसरे रेहड़ी वाले भी सड़क को घेरे रहते हैं। बाजार में खरीददारी के लिए आने वाले लोगों का हाल बुरा है। सड़कों पर अस्त-व्यस्त तरीके से गाडि़यां खड़ी होने से अक्सर जाम लग जाता है। दुकानदारों की शिकायत के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय दुकानदारों में निराशा है।

उल्लेखनीय है कि यह बाजार मंगलवार को पूरे रंगत में होता है। मुख्य बाजार होने के कारण सामान्य दिनों में भी यहां लोगों की काफी भीड़ होती है। पूर्वी दिल्ली और आस-पास के लोग यहां कपड़े और गहनों की खरीददारी के लिए आते हैं। प्रशासनिक उदासीनता से अतिक्रमण ने बाजार की चमक को फीका कर दिया है। सड़क और नालों पर रेहड़ी और पटरी वालों का कब्जा है और रही-सही कसर लोग अव्यवस्थित तरीके से गाडि़यां खड़ी कर पूरी कर देते हैं। उससे आए दिन यहां जाम की समस्या बनी रहती है।

ट्रेडर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदुम्न जैन ने बताया कि इस बाबत दिल्ली पुलिस कमिश्नर, निगम आयुक्त सहित सभी स्थानीय अधिकारियों से कई बार लिखित और मौखिक शिकायत की गई, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। शकरपुर थाना अध्यक्ष और पूर्व बीट अफसर निजामुद्दीन की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं।

स्थानीय दुकानदार पे्रम जीत सिंह, हरचरण सिंह, नेम चंद गर्ग और नरेंदर मारीचा ने बताया कि अव्यवस्था के कारण ग्राहकों की संख्या कम हो रही है और दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पुलिस की गैर-मौजूदगी, सुरक्षा व्यवस्था की कमी, सफाई व्यवस्था में बरती जा रही लापरवाही और वाहन पार्किंग का न होना जाम की बड़ी वजह माना जा रहा है।

निगम पार्षद बीबी त्यागी ने बताया कि वाहनों की पार्किंग के उद्देश्य से बाजार में खाली पड़ी भूमि को पार्किग स्थल बनाया गया था। बाद में इस भूमि पर कानूनी विवाद हो जाने से मामला अधर में लटक गया। अतिक्रमण और सफाई समेत अन्य दूसरी समस्याओं से निपटने के लिए शीघ्र ही कदम उठाए जाने का उन्होंने आश्वासन दिया है।

महीनों से खुदी सड़क परेशानी का सबब

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पूर्वी दिल्ली : गणेश नगर एक्सटेंशन क्षेत्र की गली संख्या-11 की सड़क महीनों से खुदी पड़ी है। उससे लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। नाले की नियमित सफाई न होने से नाले ओवर फ्लो हो जाते हैं और उनका गंदा पानी गलियों में भर जाता है। उधर, स्ट्रीट लाइटें दिन में तो जलती हैं, मगर रात में बंद हो जाती हैं। उससे लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लोग कई बार निगम अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय निवासी रणधीर कुमार, सरिता तेलंग और सोहन लाल ने बताया कि उनके क्षेत्र में तीन माह पहले सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़कें खोदी गई थीं। सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़कों को यूं ही छोड़ दिया गया। उससे सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं। ऐसे में आवागमन में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। खराब सड़क के कारण लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। उधर, उनके क्षेत्र में नालों की नियमित सफाई न होने के कारण उनमें गाद भरी पड़ी है।

रोक के बावजूद सड़क पर सब्जी मंडी

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पूर्वी दिल्ली : शाहदरा के भोलानाथ नगर स्थित पुराने रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे अवैध रूप से सब्जी मंडी लगाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। यह स्थिति उस समय है, जब प्रशासन ने 2003 के दौरान सड़क पर सब्जी मंडी लगाने पर रोक लगा दी थी। सड़क पर सब्जी मार्केट लगने से घंटों जाम लगा रहता है। सड़ी हुई सब्जियों को फेंकने से नाले भर जाते हैं और जरा सी बारिश होने पर सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है। शाम को असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे आए दिन आपराधिक वारदात होती रहती हैं।

उल्लेखनीय है कि 2003 में प्रशासन ने सब्जी मंडी को अवैध घोषित कर उसे हटा कर गाजीपुर स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। बड़ी संख्या में सब्जी विक्रेता यहां से चले गए थे। कुछ यहां रहकर आज भी सड़क और गलियों में मंडी लगा रहे हैं। सड़क के आस-पास नालों पर दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है। वे नाले के गंदे पानी का इस्तेमाल सब्जियों को धोने में भी करते हैं। सड़ी सब्जियों को नाले में फेंकने से वहां का वातावरण दूषित हो गया है। बरसात के दौरान नाले जाम होने से सड़क पर पानी भर जाता है। उससे आवागमन बाधित हो जाता है और लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह स्थानीय पुलिस और सब्जी विक्रेताओं की सांठगांठ का नतीजा है। पुलिस वसूली करती है। दबाव बढ़ने पर पुलिस कुछ दिनों तक सख्ती दिखाती है, फिर स्थिति पहले जैसी बन जाती है। लोगों का कहना है कि शाहदरा मेट्रो और रेलवे स्टेशन से आने वाले यात्रियों से अंधेरे का लाभ उठाकर असामाजिक तत्व लूटपाट और छीनाझपटी करते हैं।

स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि दुकानों के आगे लगने वाली ठेलियों से उन्हें परेशानी होती है। रोकने पर ये लोग हंगामा करते हैं और मरने-मारने की धमकी भी देते हैं।

निगम पार्षद निर्मल जैन से बात की गई तो उन्होंने मंडी वाली जगह को रेलवे के अधिकार क्षेत्र में बताया और कार्रवाई के लिए रेलवे को जिम्मेवार बताया।

पशु अस्पताल का भवन हुआ जर्जर, सुविधाएं भी नहीं



पूर्वी दिल्ली : शकरपुर के यू ब्लाक स्थित पशु चिकित्सालय बदहाल है। अस्पताल की इमारत जर्जर है। कुत्तों के लिए एंटी रेबीज इंजेक्शन भी नहीं है। दुधारू पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान की भी व्यवस्था नहीं है।

क्षेत्र का यह इकलौता अस्पताल है, जहां शकरपुर, लक्ष्मी नगर, मंडावली और आस-पास के कई इलाकों से लोग जानवरों का इलाज कराने आते हैं। उनमें कुत्ते पालने वालों की संख्या ज्यादा होती है। झील, मोती बाग और नरेला में जानवरों के अस्पताल हैं, जो यहां के लोगों के लिए बहुत दूर हैं। कुत्तों को एंटी रेबीज इंजेक्शन और गर्भाधान के लिए लोगों को काफी दूर जाना पड़ता है।

अलका गोस्वामी ने बताया कि इलाके के लोग ज्यादातर कुत्ते पालते हैं। ऐसे में कुत्तों की सेहत बिगड़ने पर वे इसी अस्पताल पर निर्भर हैं। अस्पताल के प्रमुख डॉ. डीपी सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में अब यहां लोग बड़े जानवरों को कम लाते हैं। कुत्तों से संबंधित दवाइयां उपलब्ध हैं। उन्होंने एंटी रेबीज वैक्सीन और कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था न होने की बात मानी और कहा कि सुधार के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया गया है।

हरियाली को तरसता गणेश वाटिका पार्क


पूर्वी दिल्ली : गणेश नगर पार्ट-2 स्थित गणेश वाटिका पार्क हरियाली को तरस रहा है। पार्क में घास की जगह कूड़े और सडे़ हुए पत्ते बिखरे पड़े हैं। पार्क के नाम पर यहां कुछ पेड़ जरूर हैं, जिससे पार्क का वजूद अब तक बना है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग पार्क का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। लोगों को सुबह की सैर के लिए दूसरे पार्को का सहारा लेना पड़ता है, जो उनके इलाके से काफी दूर हैं। खासकर बुजुर्गो और महिलाओं को दिक्कत होती है।

स्थानीय निवासी एके गुप्ता, विकास मल्होत्रा और सुमित ने बताया कि पार्क की बदहाली लंबे समय से है। कुछ स्थानीय और प्रभावशाली लोग पार्क का उपयोग कार पार्किग के लिए भी करते हैं। लोगों ने अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है। असामाजिक तत्व बेखौफ होकर पार्क में घूमते रहते हैं और सरेआम शराब पीते देखे जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण प्रबंधन सेवा विभाग के निरीक्षक का कार्यालय पार्क से कुछ ही दूरी पर स्थित है।

वार्ड पार्षद लता गुप्ता से बात की गई, तो उन्होंने समस्याओं से इनकार नहीं किया और बताया कि स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद पार्क के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया है। दूसरी समस्याओं को जल्द ही दूर कर दिया जाएगा।

लक्ष्मी नगर चौक पर वाहनों के जमावड़े से अव्यवस्था

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पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता : लक्ष्मी नगर चौक पर इन दिनों निगम अधिकारियों की लापरवाही से अतिक्रमण की भरमार है। चौक पर तिपहिया वाहन चालकों ने अतिक्रमण कर रखा है। दुकानदारों ने भी फुटपाथ पर अतिक्रमण किया है। सड़क पर पैदल चलने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वे अक्सर हादसों का शिकार होते रहते हैं। स्थानीय लोग कई बार निगम अधिकारियों से अतिक्रमण हटाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

शकरपुर निवासी दीपक, लक्ष्मी नगर निवासी संजय और श्याम नंदन प्रसाद ने बताया कि लक्ष्मी नगर चौक पर इन दिनों अवैध ऑटो स्टैंड बन गया है। इस चौक से विकास मार्ग की ओर और मदर डेयरी की ओर जाने वाली सड़कों पर ऑटो सड़क पर जमे रहते हैं और सवारियों का इंतजार करते हैं। उनमें ग्रामीण सेवा के भी वाहन शामिल हैं। इस वजह से मार्ग संकरा हो जाता है और अक्सर जाम लगा रहता है। उससे लोगों को परेशानी होती है।

दूसरी ओर, इस चौक के आस-पास की सड़कों पर दुकानदारों ने अतिक्रमण कर अपनी दुकानें आगे बढ़ा ली हैं। पैदल चलने वाले लोगों को फुटपाथ पर जगह नहीं मिल पा रही है। मजबूरी में उन्हें सड़क पर चलना पड़ता है और ऐसा करने से वे वाहन की चपेट में आकर हादसों का शिकार हो रहे हैं।

दिल्ली नगर निगम शाहदरा साउथ जोन के चेयरमैन बीबी त्यागी का कहना है कि समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है। पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से दोबारा अतिक्रमण हो जाता है। सड़क से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी जितनी निगम की है, उतनी ही पुलिस की भी।जल्द ही पुलिस के आला अधिकारियों से बातचीत कर अतिक्रमण को हटाने के लिए कार्रवाई की जायेगी





Wednesday, March 16, 2011

सौ रूपए का नोट उपलब्ध नहीं है



अंकुर शुक्ला ,दिल्ली (शकरपुर) अगर आप टी एम से 100 रूपए का नोट निकलना चाहते हैं तो जरा इस खबर को पढ़ लीजिये। शायद आप परेशान होने और अपना वक़्त बर्बाद करने से बच जायेंगे. लक्ष्मी नगर के पटपडगंज रोड स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया का एक ऐसा टी एम ( ए टी एम आइ डी : एफ 30 एन 166907 ) मौजूद है जिससे सौ रूपए का नोट नहीं निकालता .यह सिलसिला करीब एक महीने से बदस्तूर जारी है. आए दिन लोगों को जहां इस वजह से परेशान होना पड़ रहा है वही इस लापरवाही को लेकर बैंक प्रशासन मौन है. जिससे पैसे निकालने वाले लोगों में बैंक के प्रति असंतोष की भावना बनी हुई है.
इस बाबत लोगों से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शिकायत के लिए दिए गए नंबर (22512852 और 1800221622 ) पर कई बार सूचित करने के बाद भी इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.ख़ासतौर पर छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है . जबकि यहाँ मौजूद अन्य बैंकों के टी एम से सौ रूपए का नोट निकला जा सकता है.
गौरतलब है की सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर टी एम के दीवार पर महज एक सूचना चिपका दी गई है कि " सौ रूपए का नोट उपलब्ध नहीं है.
एक तरफ बैंको द्वारा ग्राहकों को सुविधाओं से जोड़ने का दावा किया जा रहा है वही सेंट्रल बैंक आफ इण्डिया की यहलापरवाही निराशाजनक है. ऐसे में यह सवाल उठाना जायज़ है कि आखिर सौ रूपए का नोट जाता कहाँ है?

Sunday, March 13, 2011

"मीडिया को अपने गिरेबान में झाकने की जरूरत" : प्रभु चावला





  • सन्डे इंडियन और टाइम्स फाउन्डेसन का राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार
अंकुर शुक्ला, नई दिल्ली (12 मार्च )

जनवाणी से दूर होती मीडिया और उसकी जबावदेही पर सन्डे इंडियन और टाइम्स फाउन्डेसन ने संयुक्त रूप से शनिवार को कमानी सभागार में सेमिनार का आयोजन किया । इस मौके पर कई जाने - माने पत्रकार मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्रा ने की।

कार्यक्रम की शुरुआत में मैनजमेंट गुरु प्रो.अरिंदम चौधरी ने मीडिया पर कई सवाल उठाते हुए कहा कि आज की मीडिया कोई बड़ा बदलाव करने में यकीन नहीं रखती और इस देश में गरीबों के लिए न्याय की बात सोचना दिन में सपने देखने जैसा है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए देश की मीडिया और न्यायपालिका को एकजुट होकर अपनी भूमिका निभानी होगी.

वरिष्ट पत्रकार प्रभु चावला ने मीडिया को अपने गिरेबान में झाकने की सलाह देते हुए कहा कि आज की मीडिया अपने विचार देना तो जानती है लेकिन जनता से जुड़े सवालों को पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है. उनके सवाल उनके सिद्धांतों के
विपरीत और प्रायोजित होते हैं. ऐसी परिस्थितियों से जल्द ही निपटने की जरूरत है.

वरिष्ट पत्रकार राहुल देव ने मीडिया को बाज़ार का हिस्सा बताते हुए कहा कि हमारी लाइफ स्टाइल काफी हद तक मीडिया पर निर्भर है.यह हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है और परिस्थितियों में हो रहे परिवर्तन से इसके अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है.

एक टीवी चैनल के प्रबंध सम्पादक आशुतोष ने खबरिया चैनलों की लापरवाह और तर्कहीन कार्यक्रमों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि हमें खुद से यह सवाल करना होगा कि क्या हम ईमानदार हैं? हमें दूसरों को बेईमान कहने का क्या अधिकार है?

लोकप्रिय पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में सरकारी नीतियों और समस्याओ का हवाला दिया और कई महत्वपूर्ण सवाल उठाते हुए कहा कि पूरा सिस्टम लाभ के लिए काम कर रहा है जिसमे मीडिया भी उसमे शामिल है. आज का मीडिया गूगल के कंटेंट पर ज्यादा निर्भर हो गया है.जिसके कारण मास और मीडिया में संवादहीनता जैसी स्थिति बन गई है. हमें लोगों तक पहुचकर उनकी समस्याओं को जानना चाहिए.

अमर उजाला के सलाहकार संपादक अजय उपाध्याय ने कहा कि" न्यूज़ चैनलों पर चल रहे शीला मुन्नी और जादू -टोने जैसे निम्नस्तरीय कार्यक्रमों को दिखाकर हम क्या साबित करना चाहते हैं"? क्या मीडिया की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह शिक्षा परक कार्यक्रमों में भी अपनी भूमिका का अहसास कराए.लोकतंत्र के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ने खुद ही अपने आप को चौथे महत्वपूर्ण स्तम्भ के रूप में घोषित कर दिया है वास्तव में आज भी तीन स्तम्भ ही महत्वपूर्ण हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ एक वाक्य बोलकर "हमें कोई रोक नहीं सकता" उन्होंने अमेरिका में इतिहास कायम कर दिया. क्योंकि वहां की जनता का भरोसा उन्होंने अपने संवाद से जीत लिया. हमें पहले जनता का भरोसा जीतना होगा और इसके लिए हमें उनके बीच जाकर उनकी आवाज़ बनना होगा.

दूरदर्शन के चीफ प्रोड्यूसर कुबेर दत्त ने जनवाणी के शुरू होने और कार्यक्रम से सम्बंधित अपने संघर्ष और चुनौतियों की विस्तार से चर्चा की. गौरतलब है कि कुबेर दत्त दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय कार्यक्रम 'जनवाणी' के प्रोड्यूसर भी रह चुके हैं. उनके अनुसार विभागीय लापरवाहियों का ठीकरा उनके सिर डालकर उन्हें साजिश के तहत निलंबित भी किया गया था.

स्तंभकार ज़फर आगा ने कहा कि मीडिया की आवाज़ दबाई नहीं जा सकती. परिस्थितियों के विपरीत होने पर उसने अपना रास्ता खुद ही तय किया है. उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि मौजूदा दौर में फेसबुक,ट्विटर और ब्लॉग के रूप में उभरती तमाम वैकल्पिक मीडिया इस बात के प्रमाण हैं.

बी ई ए के महासचिव और साधना न्यूज़ के चैनल हेड एन के सिंह ने दर्शकों से जिम्मेदार बनाने की अपील की और कहा की न्यूज़ चैनलों द्वारा दिखाए जा रहे बेतुके और आधारहीन कार्यक्रमों की आड़ में सरकार नियंत्रण समीति के गठन का प्रयास कर रही है.जिसका नियंत्रण कही न कही सरकार अपने पास रखना चाहती है.जो मीडिया की स्वतंत्रता के लिए हितकर नहीं होगा. ऐसे कार्यक्रमों को प्रसारित करने वाले न्यूज़ चैनलों से उन्होंने गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत पर बल दिया.

सेमिनार को वर्तिका नंदा , मुकेश कुमार , कुर्बान अली , संजय अहिरवाल आदि पत्रकारों ने भी संबोधित किया.
इस मौके पर टाइम्स फाउन्डेसन के निदेशक पूरण चंद पांडे भी मौजूद थे. वही जाने-माने पत्रकार ओंकारेश्वर पांडे ने बड़े ही रोचक अंदाज़ में सेमिनार का संचालन और उद्घोषणा की.




Friday, March 11, 2011

एहसास !!!! (जिंदगी और चुनौतियाँ)


प्रस्तुति: छत्रपति 'अन्कुर'(अंकुर शुक्ला)

क्यॊ हॊता है एहसास मुझॆ,

मै पल दॊ पल का राही हूँ,

जलती हुई इस दुनिया का,

मिटता हुआ बस एक स्याही हूँ,

कॊइ दर्द किसी की सुनता नही,

कॊइ अश्कॊ पर मर मिटता है,

यह वक़्त किसी का हॊता नही,

पल पल यॆ फिसलता रहता है,

हर राह यहा आसान मगर,

पर क्यॊ चलना मुश्किल हॊता,

सब कुछ पाकर क्यॊ हर कॊइ,

एकबार मॆ सबकुछ है खॊता,

यॆ खॊना ही तॊ जीवन है,

जीकर दिखलाऒ तॊ समझू,

पाकर हीरा तॊ सब हसतॆ,

खॊकर हस दॊ तॊ मै समझू,

सपना तॊ बस सपना हॊता,

सच कर दिखलाऒ तॊ समझू,

इन तूफानो कॆ सायॆ मॆ,

कश्ती कॊ चलाऒ तॊ समझू,

इन्सानॊ की इस दुनिया मॆ,

एक वक़्त था वॊ एक वक़्त है यॆ,

उस वक़्त कॊ कितनॊ नॆ है जीया,

इस वक़्त कॊ जी लॊ तब समझू,

रूत है यॆ सुहानी आज़ अगर,

पर बात समझ लॆ एक मगर,

खुशियॊ कॆ बाद ही ग़मआता,

यह बात समझलॊ तॊ समझू,

हर रिश्ता है भगवान यहा,

पर क्यॊ इन्सान अकेला है,

इन रिश्तॊ कॆ जज़्बातॊ कॊ,

एकबार समझलॊ तॊ समझू,

आतॆ है सब रॊतॆ रॊतॆ,

अरमानॊ कॆ इस आगन मॆ,

जातॆ जातॆ इस आगन मॆ,

औरॊ कॊ हंसालो तॊ समझू I